हिंदीग़ज़ल
तू है तो फिर इंसानों का अंश बचा लेना यारब!
तू है तो फिर इंसानों का अंश बचा लेना यारब! वरना सबको खा जाएँगे मिलकर ये सारे मज़हब जो जैसा है उसको कोई वैसा देख सका है कब जो जैसा है उसको याँ पे वैसा ही दिखता है सब एवोल्यूशन की थ्योरी सच्ची है तो फिर सुन प्यारे, हो जाएगी पूँछ के जैसे रीढ़ की हड्डी भी ग़ायब एक फ़क़ीर ने सादे शब्दों में दर्शन यों समझाया तू ही मदारी, तू ही जमूरा और ये जीवन है करतब ‘अंकुर’ धीरे बोल यहाँ पर सोए है सब, सोने दे! सोते-सोते सो ही जाए तुझको इससे क्या मतलब