हिंदीग़ज़ल

वो आँखें बंदकर रोटी को देखे भूख के मारे

Sushant Jain

वो आँखें बंदकर रोटी को देखे भूख के मारे न बैठा ध्यान में योगी, तुझे धोखा हुआ प्यारे बड़ा कहता था सारे तोड़ कर ले आऊँगा तारे कहाँ पे दफ़्न की सब ख़्वाहिशें कुछ बोल हत्यारे अगर मैं जीत भी जाऊँ तो होगा क्या मुझे हासिल अभी तक हारे भी है जो भला क्या-क्या वे सब हारे जो मौसम साफ़ है तो गिरवी रख लो पर सुनो इतना जो बारिश आएगी तो छत बिना मर जाओगे सारे ज़मीं से आसमाँ तक का इन्हें सबकुछ तो है मालूम यहाँ तू चुप ही रह ‘अंकुर’, यहाँ ज्ञानी भरे सारे