हिंदीग़ज़ल

दुनियादारी से आगे

Sushant Jain

एक हसीं दुनिया है दूजी दुनियादारी से आगे कर के हिम्मत देखो तुम भी दुनियादारी से आगे दुनिया ने पागल कह-कहकर उसको पागल कर डाला उसने बस दुनिया देखी थी दुनियादारी से आगे बतलाते है ज्ञानी ध्यानी पर कम ही सुन पाते है। बहती है रसधार ख़ुशी की दुनियादारी से आगे। सब रस्तों की इक मंज़िल है, ध्यान लगाओ मंज़िल पर मंज़िल तुमको ले जाएगी दुनियादारी से आगे मोह छुड़ाने के रस्ते से ही जो मोहित हो बैठे बातों में रहते है वे भी दुनियादारी से आगे दुनिया में भी रस है लेकिन उसकी अपनी एक लिमिट यात्रा है उससे आगे की दुनियादारी से आगे