हिंदीग़ज़ल

सब झूठे।

Sushant Jain

सच ही तो है तुझको झूठा कहने वाले सब झूठे। इक तू ही तो सच्चा है बस बाक़ी सारे सब झूठे। तू भोला है, बच के रहना, भावुकता में बहना मत मतलब से है सारे रिश्ते, क़समें वादे सब झूठे सच सुनने की हिम्मत होती तो मैं तुझको बतलाता खुद को सही ठहराने वाले मन के क़िस्से सब झूठे बात कोई ग़र फँस जाए तो लोड ज़ियादा मत लेना थोड़े-थोड़े सच्चे है सब, थोड़े-थोड़े सब झूठे इनके बीच में रहता हूँ, वाक़िफ़ हूँ इनकी रग-रग से आईना दिखलाने वाले इक नम्बर के सब झूठे। सच कहना तो दूर की कौड़ी सच को किसने समझा है। सच का दावा करने वाले मुमकिन है ये सब झूठे भ्रष्टाचार पे शेर कहो तो भ्रष्टाचारी बोले वाह शिष्टाचार की ऐसी-तैसी ‘अंकुर’ कह दे सब झूठे